बताओ तनिक!

स्याही हो चाहे बहुत रंगीन 
ईंटें कितनी मज़बूत हैं? 
नींव कितनी गहरी है? 
स्तंभ कितने दृढ़ हैं? 
बताओ तनिक! 

रंग, रूप और आकार 
दूर ही दीख पड़ता, मित्र!
तुम्हारी कहानी में क्या है?
तुम्हारी आत्मा में क्या है?
बताओ तनिक!

हाड़-मांस के तो सब बने
दीवाने तो सब
तुम्हारा फ़न क्या है? 
तुम्हारा जुनून क्या है?
बताओ तनिक!

आडंबर तो बहुत हुए,
खुशामद भी काफ़ी हुई, 
तुम्हारी रगों में क्या है?
तुम्हारे हृदय में क्या है?
बताओ तनिक!

चन्द्र अम्बर

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