वापिस घर!
मैं वापिस घर आया हूँ
सुबह सुबह टहलने जा रहा हूँ,
कोई जल्दी नहीं है फिर भी
मैं तेजी से चल रहा हूँ।
गुज़रता पुराने मोहल्लों से
जहां से सब नाते छोड़ आया हूँ।
कहीं कोई नन्हा बच्चा तैयार हो रहा
स्कूल जाने को..
मैं भी फ़िर स्कूल जाना चाहता हूँ।
फिर दोस्तों के संग भटकना चाहता हूँ।
मैं वापिस घर तो आया हूँ,
मगर घर मेरे पास वापिस नहीं आया है।
जल्दबाजी की दुनिया में
चंद लम्हों की भी गुंजाइश नहीं
घर को वापिस आने को
टहलते-टहलते मैं अपने घर, मोहल्ले से
बहुत दूर निकल आया हूँ।
शायद अब लौट भी आऊँ तो लौट ना पाऊँ!
अम्बर
© Chandra Prakash Gupta
Comments