अब कुछ नहीं....!

हम उनके पास आयें, ये भी उन्हें मंजूर नहीं......
दूर जाने में भी वो खुश नहीं.....
किस कश्मकश में उलझा रखा है मुझको....
मैं बस यही जानना चाहता हूँ,
और कोई ज़िद नहीं..!

इन कहानियों को ढोता,
मैं भटकता फिरूंगा अपनी डायरियों के पन्नों में
मुझे मालूम है जबकि...
हाल मैंने भी देखे हैं उनके
जो लोगों के बजाय डायरियों से बातें करते फिरते हैं!

वो पूछते हैं हमसे,
'तुमने लिखना क्यूँ छोड़ दिया?'
लिखने वालों का हाल उनको क्या मालूम...
ये सच है कि उनसे बिछड़ने का ग़म बहुत है हमें
मगर अब मिलने की हिम्मत भी नहीं!

अम्बर 

Comments

Popular Posts