सूखी मिट्टी

पहली बारिश में उस सूखी मिट्टी का सुख एक तरफ, 
और सावन की बाढ़ में उसका बह जाना एक तरफ!

एक... बूंद ने कितना सुगंधित कर छोड़ा था उसको, 
और तार-तार कर दिया है अब उन्हीं बूंदों ने उसको!

ख़ुद में विलीन किया, दरिया-दरिया क्षीण किया,
पत्थर-सी मिट्टी को इस बारिश ने पानी कर दिया!

अब जब थमने लगी हैं ये बारिशें सावन-भादो के बाद,
अकेला छोड़ जाएंगी इन्हें महीनों सर्द, गलन, तपन में! 

अगली पहली बारिश तक, जमी रहेगी मिट्टी इंतजार में, 
पहली बूंदों में तृप्त होने को और तार-तार होने को. 

-चन्द्र प्रकाश अम्बर 

Comments

Popular Posts