होली की हवाओं में!


रंगों की फ़िज़ाओं में, 
इन लाल हवाओं में,
गुलाल से सनी मेरी साँसों में,
ले चल मुझे किसी सुहाने सफर पर, 
भरकर आज अपनी बांहों में!

मशगूल तेरी टेढ़ी बातों में,
भटकता हुआ यूं इन राहों में,
उड़ता हुआ मैं जज़्बातों में, 
होली के रंगों में रंगा हूँ...
भीगा चलता हूँ इन खुशियों की बरसातों में! 

-चन्द्र प्रकाश 'अम्बर' 

© 2022 Chandra Prakash 

Painting credits: Ms. Shradha

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